वैशाख मास कृष्ण पक्ष की संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन आराध्य देव गणेश जी के गुणों को व्रत , उपवास , मंत्र जप , विधि – विधान के माध्यम से आत्मसात करने पर साधक की प्रगति के मार्ग में आने वाली विध्न बाधाओं का शमन किया है ।
श्री गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास में किया जाता है , ताकि व्रती के बुद्धि – विवेक , गणेश जी की कृपा से निर्मल बने रहे । गणेश जी की पूजा सही मायने में विवेक एवं सही निर्णय द्वारा भाग्य बदलने की शक्ति प्रदान करती है । विध्नहर्ता , गणेश जी बुद्धि , विवेक के देवता है और इन्हे भाग्य विधाता भी कहा जाता है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर स्थिति में हो तो उसे गणेश जी की पूजा , उपासना अवश्य करनी चाहिए , ताकि गणेश जी से प्राप्त सद्बुद्धि से सही निर्णय लेकर व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करे ।
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विकत संकष्टी चतुर्थी उपाय
- अगर आपको जीवन में अधिक मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है तो इसके लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के दौरान ‘ ग गणपतये नमः ‘ मंत्र का जाप करे । इस मंत्र का जाप 11 बार करे । हर बार मंत्र बोलने के पश्चात् पुष्पांजलि अर्पित करे । माना जाता है कि इस उपाय को करने से जीवन में सफलता प्राप्त होगी ।
- इसके अलावा प्रभु को विशेष चीजों का भोग लगाए । भगवान गणेश को लड्डू प्रिय है । संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान् को 21 लड्डुओं का भोग लगाए । साथ ही ‘ ओम ब्रम्ह ब्रिम ब्रो सः बुद्धाय नमः ‘ मंत्र का जाप सच्चे मन से करे । ऐसी मान्यता है कि यह उपाय करने से कुंडली में बुध ग्रह मजूबत होता है । साथ ही करियर में सफलता हासिल होती है ।
- जीवन के संकटो को दूर करने के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन केला के पत्ता पर रोली से त्रिकोण बनाएं । इसके बाद आगे वाले कोण पर लाल मिर्च और मसूर कि दाल रखे । साथ ही ‘ अगने सख्सय बोधि नमः ‘ मंत्र का जाप करे । मान्यता है कि इस उपाय को करने से जीवन से संकटो से छुटकारा मिलता है ।
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पूजन विधि – विधान –
संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत का पालन 27 अप्रैल 2024, शनिवार को किया जाएगा । पूजन हेतु चंद्रोदय रात्रि 09:50 पर होगा जो स्थान भेद के कारण भिन्न हो सकता है । पुराणों में चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है । भगवान गणेश की अर्चना के साथ चंद्रोदय के समय अधर्य दिया जाता है । मंगलमूर्ति गणेश जी को पंचामृत से स्नान के बाद फल , लाल फूल , अक्षत रोली , जनेऊ, मोली अर्पित करना चाहिए , लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए तथा गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ अवश्य करना चाहिए । प्रत्येक स्थान पर वहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार लोग पूजा – अर्चना संपन्न करते है ।
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गणेश जी का आशीर्वाद मन , बुद्धि , विवेक का संतुलन –
अक्सर देखा गया है , सफलता और असफलता , सुख और दुःख आदि मन की अवस्था व्यक्ति के सही निर्णयों पर ही निर्भर करती है । धर्मशास्त्रों के मुताबिक मन के स्वामी देव चंद्र है, चतुर्थी तिथि पर बुद्धिदाता देवता श्री गणेश की पूजा के साथ चंद्रदेव को अधर्य देकर मानसिक संतापों को दूर का शुभ मनोरथ पूर्ण किया जाता है । व्यावहारिक नजरिये से सारे कलह , संकट या असफलता के पीछे डांवाडोल मन और विकृत बुद्धि ही होती है । मन का असंतुलन ही विचारो को नकारात्मक दिशा देकर कलह का कारण बनता है यही कारण है कि मानसिक अशांति व मन की चंचलता पर काबू पाने के लिए इस पर्व पर चंद्रदेव की उपासना का महत्त्व बताया गया है । संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र अधर्य के पीछे सुख व शांति की ऐसी ही कामनाएं व भावनाएं जुडी है ।
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