सनातन धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय माना जाता है और भगवान गणेश की पूजा के लिए हर माह संकष्टी चतुर्थी पर विशेष पूजा की जाती है । हिन्दू पंचाग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदन्त संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है और इस साल एकदन्त संकष्टी चतुर्थी 26 मई को मनाई जाएगी .
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Ekadashi May 2024
हर वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदन्त संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है । इस दिन देवो के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा – अर्चना की जाती है । साथ ही मनोवांछित फलो की प्राप्ति हेतु व्रत – उपवास रखा जाता है । धार्मिक मत है कि एकदन्त संकष्टी चतुर्थी करने से साधक को सभी शुभ कार्यो में सिद्धि प्राप्त होती है ।
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी पर शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को शाम 06.06 बजे से प्रारम्भ होगी और इस तिथि का समापन 27 मई को शाम 04.53 बजे होगा । इस तिथि पर रात में चंद्रदेव के दर्शन जरूर करना चाहिए । उदया तिथि के अनुसार, एकदन्त संकष्टी चतुर्थी 26 मई को भी मनाना उचित होगा ।
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जाने कैसे शुरू हुई गणेश जी की पूजा
हम सभी जानते है कि स्वर्गलोक में भी दो भाई कार्तिकेय और गणेशजी के बीच वर्चस्व कि लड़ाई हुई थी । इस दौरान भोले बाबा ने कहा कि जो सबसे पहले तीनो लोको की परिक्रमा करके यहां आएगा । वह ही सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा
गणेश जी ने अपनी सवारी मूषक के साथ तीनो लोको की नहीं, लेकिन अपने माता – पिता की परिक्रमा कर ली । गणेश जी की बुद्धि विवेक को देखकर सभी देवी देवताओ सहित महादेव ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ पूजा और सर्वश्रेष्ठ नाम का अधिकार दिया । इसी के बाद से गणेश जी की सर्वप्रथम पूजा की शुरुआत हुई ।
चतुर्थी पर रखा जाता है व्रत
यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है इस दिन देवो के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा – अर्चना की जाती है । साथ ही मनोवांछित फलो की प्राप्ति हेतु व्रत – उपवास रखा जाता है । धार्मिक मत है की एकदन्त संकष्टी चतुर्थी करने से साधक को सभी शुभ कार्यो में सिद्धि प्राप्त होती है । साथी ही आय सौभाग्य और वैभव में वृद्धि होती है ।
शुभ योग
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर सबसे पहले साध्य योग का निर्माण हो रहा है । यह योग सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक है । इसके बाद शुभ योग का निर्माण हो रहा है । शुभ योग दिन भर रहेगा । इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होंगे ।
भद्रा योग
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा का भी शुभ संयोग बन रहा है । इस दिन भद्रा पाताल में रहेगी । भद्रा के पाताल में रहने के दौरान पृथ्वी वासी का कल्याण होता है । एकदन्त संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा योग संध्याकाल 06 बजकर 06 मिनट तक है । इस दौरान भी भगवान गणेश की पूजा – उपासना करते है ।
शिव वास
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर शिववास का भी योग बन रहा है । इस योग का निर्माण प्रदोष काल में हो रहा है । इस समय में भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है ।
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